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Nature

प्रसंगवश

in poems

कुछ प्रासंगिक उत्तर के लिए, हैं संदर्भित कुछ प्रश्न मेरे| क्या शिक्षा सिर्फ प्रचार तक, या आचरण व्यवहार तक? स्वर्णिम इतिहास हमारा था, ये देश जो इतना प्यारा था| गंगा यमुनी तहज़ीब ने हम को, बडे़ प्यार से पाला था| नदियों को मैला कर डाला, वृक्षों की चिता जला डाली, वर्षावन जाने कहां गए? मौसम…

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पर्यावरण

in poems

इन्द्रधनुषी सप्तरंगों का, अब आकाश कहाँ ? धुँए के गुबारो में, सपनों का आवास कहाँ ? गाँवों का हुआ जो शहरीकरण, दूर होती गयी,हमसे शीतल पवन, अब बूँद ओस की झिलमिलाती नहीं, तितलियाँ फूल पर अब इठलाती नही, रूठी तितलियों को चलो फिर से मनाये, आओ मिलकर पेड़ लगायें ।

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