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Hindi Poem

हिंदी भाषा की व्यथा

in Blogs

मैं हिंदी भाषा हूं ,आजकल कुछ उदास सी रहती हूं, क्योंकि मेरे अपनों ने मेरी परवाह करना छोड़ दिया है। लेकिन हमेशा से ऐसा नहीं था, मैंने जीवन का बेहद सुनहरा दौर भी देखा है ।मैंने महादेवी वर्मा ,जयशंकर प्रसाद और निराला जैसे महान छायावादी कवियों का दौर भी देखा है । वो मेरी खुशनुमा…

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गुलाब का संदेश

in poems

मेरी बगिया का अधखिला गुलाब, नव ऊष्मा से पूरित गुलाब , कुछ मुस्काता सा बोल रहा, अपनी पंखुड़ियां खोल रहा, खिलने के पहले कांटो संग ये सफर पूर्ण किया मैंने , दुनिया को दिखती सुंदरता, लेकिन जो दर्द सहा मैंने, उसकी बातें भी क्या करना? दुनिया वालों को ये कहना, खिलने वाली कलियां चुनना। जो…

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हिन्दीभाषा ये पूछ रही..

in poems

आँखों में लिए प्रश्न बैठी ,इन्तज़ार  की चौखट पर , वो समय  कहाँ, कब आएगा ,जो मेरा भाग्य जगाएगा। हिन्दी सबकी जननी है तो ,सब क्यूं जननी को भूल गए , जो अँधियारे में भटक रही , हम दीप जलाना  भूल  गए । है राह निहारे यहाँ वहाँ ,तकती आँखें अब पूछ रही , हम…

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सबके होते अपने श्याम …

in poems

कोई बोले रास रचईया,कोई बोले नटखट श्याम। कोई बोले कृष्ण कन्हैया,कोई बोले योगी श्याम। जिसने तुमको जैसा चाहा,वैसे ही तुम बनते श्याम। ज्ञानयोग और कर्मयोग का,ध्यानयोग का योगी श्याम,  जिसकी जितनी निष्ठा होती,उतना ही बस मिलते श्याम।  आत्मज्ञान निष्कामकर्म का,बोध कराए गीताज्ञान। जैसी जिसकी दृष्टि है ,बस वैसे ही है उनके श्याम।   

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शिक्षा का बाज़ार

in poems

अध्यापन व्यवसाय बन गया अध्यापक सामान, शिक्षा का बाज़ार बन गया, बिक्री-खरीद हुई आसान। बड़े- बड़े पोस्टर में सज गए विद्यालय के भवन, ज्ञान की बातें गौण हुई अब नैतिकता का हवन। बड़े-बड़े भवनों में बैठे शिक्षा के व्यापारी,पहले आओ पहले पाओ की है पूरी तैयारी। प्रतिभावान बेहाल भटकते है कितनी लाचारी ! भ्रष्टाचार की…

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गणतंत्र के उपासक

in poems

गणतंत्र के उपासक , हम लोग जानते हैं , बंधुत्व की ध्वजा का , हर रंग पहचानते हैं , प्रकृति ने जब से भेजा , हम सबको इस धरा पर , तब से ही हम लहू का, भी रंग जानते हैं । काला हो या हो गोरा , सूरते पंथ भी अलग हो , इंसानियत…

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चंदा की लोरी

in poems

चंदा जब तुम निशाकाल में आना, मेरे प्यारे लल्ला को, लोरी गाकर सुनाना, जिसमें हो इस देश की बातें, देश के गौरव गान की बातें, षड् ॠतुओं की सौगातें, उसको तुम बताना, जब तुम निशा काल में आना । पर्वत नदियाँ झरनें सागर, पूरित जिनसे देश का गागर, निर्मल पावन रखने को, उसको तुम सिखाना,…

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शेष प्रश्न

in poems

हैं शेष प्रश्न,कुछ जीवन में, जो अनुत्तरित ही रहते है, प्रतिपल घटते इस जीवन में, जो अनुगुंजित से रहते है, जीवन की दीर्घ किताबों में, कुछ तो खोया खोया सा है, कही अपनी भाषा शून्य हुई, कही भाव न्यून ही रहता है । प्रचलित शिक्षा के बोझ तले, मानव कुचला कुचला सा है, मानवीय मूल्य…

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बीता ज़माना

in poems

लड़ना झगड़ना या रूठना मनाना , कोई डाँट खाए, तो उसको चिढ़ाना, बहुत याद आता है बीता ज़माना, वो हँसना हँसाना, वो रोना रुलाना । गुज़रता गया, जो पंख लगा के, पलट के न आया, कभी याद आके। बहनों के संग, जो बचपन बिताया, जवानी बितायी ,ज़माना बिताया, बहुत कुछ छिपाया, बहुत कुछ बताया ,…

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पूजा

in poems

यदि धन की पूजा,अमरता दिलाती? तो रावण की लंका कभी जल न पाती। वो रावण भी अब तक,इस धरती पे होता, कोरोना के कारण ही भयभीत होता । प्रकृति की ही पूजा,उद्धारक बनेगी, तब जीवन बचेगा,जब धरती बचेगी!

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