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योग दिवस

in poems

हिन्द की जब बात हो, आस्था के मर्म में, योग के संदर्भ में, मानव की ऊर्जाओं का, सफलता की चर्चाओं का, तन मन योग सिक्त हो, विश्व योग दीप्त हो, प्राण का संधान हो, विश्व का कल्याण हो, प्रेम का उद्भाव हो, माधुर्य का प्रभाव हो, शत्रुता का अभाव हो, हर प्राण में सद्भाव हो ।

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