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emotions - page 2

संदेश

in poems

गणतंत्र की सुनहरी, फिर शाम आ रही है। सूरज की लालिमा यह, संदेश गा रही है । हम सब हैं भाई बंधु , यह देश है हमारा, अक्षुण्ण है, जिसकी संस्कृति, अनमोल भाईचारा। मिलजुल कर हम जिएंगे, फिर ज़हर ना पिएंगे, इंसानियत के दुश्मन, हमको नहीं गवारा। चलो यह प्रण भी ले लें । अभी…

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दोषी कौन ?

in Stories

राघव की उम्र यही कोई 18 वर्ष की रही होगी ,घर में सिर्फ दादी और पोता राघव |आपस में लड़ते झगड़ते, लाड़- दुलार करते ,हंसी-खुशी के पल बिता रहे थे |लेकिन अचानक दादी की तबीयत बिगड़ी और वेैद्य ने उनके अंतिम समय का एलान कर दिया |अब दादी को यह चिंता हो गई कि, राघव…

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कलयुग

in poems

जब त्रेता के स्वर्ण हिरण ने, सीता हरण करा डाला, जब सत्य की खातिर हरिश्चंद्र को, सतयुग ने बिकवा डाला, तब कलयुग की है क्या बिसात ? जो स्वर्ण मोह से बच जाए, या फिर असत्य से दूर रहे , और सत्य वचन पर टिक जाए , अब तो कलयुग की बारी है, और लोलुपता…

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शंकर

in poems

जीवन के दहकते प्यालों में, हर पीड़ा को जल जाने दो, उस राख से नवनिर्माण करो, सुख परिभाषित हो जाने दो| बाधाओं का उत्तुंग शिखर, उस पर बर्फीली आंधी को, जिसने झेला स्थिर होकर, उसमें वासित होते शंकर|

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ख्वाहिशें

in poems

चलो, बढ़ती हुई उम्र के साए में बैठकर , जीवन की तेज धूप से , कुछ फासले कर लें, चाहतों से भरे इस जीवन को , चलो, आज खाली कर लें , रोज बदलते किरदारों से , आज ,अभी ,तौबा कर लें , तुम अपनी तन्हाइयों को , रुखसत कर दो, हम अपने सन्नाटों से…

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मातृभूमि

in poems

वो जीना भी क्या जीना है, जो देश हित में जी न सके, वो मरना भी क्या मरना है, जो मातृभूमि पर मर न सके। कितने अनजाने वीरों ने, अपने जो रक्त बहाएं हैं, इस देश के मिट्टी पानी में, उन वीरों की गाथाएं हैं। झांसी की मिट्टी कहती हैं, हर बाला लक्ष्मीबाई हो, पंजाब…

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ध्वनियां

in poems

अक्सर हम वो सुन नहीं पाते, जो ये दुनिया कहती हैं। और कभी हम बिना कहे भी, बहुत कुछ सुन जाते है। वे ध्वनियां जो ध्वनित नहीं हो, ज्यादा शोर मचाती है। दिन का चैन उड़ा देती हैं, रातों को जगाती हैं।

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व्योम,……धरा से।

in poems

  हंस कर कहता, व्योम, धरा से। सूरज चांद सितारे, ये हैं मेरे सारे । तेरे अपने कौन ? बता मुझे, न रह मौन। धरती ने ली अंगड़ाई, फिर थोड़ी शरमाई, अगणित चांद सितारे मेरे, क्यूं जलता है भाई ? मोदी ने भारत चमकाया, राष्ट्रवाद परचम लहराया। जिसकी चमकीली ऊर्जा ने, ऊंच नीच का भेद…

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सुनंदा बुआ

in Stories

सुनंदा बुआ, जिन्हें पूरा मोहल्ला इसी नाम से पुकारता था, यहां तक कि तीन पीढ़ियों तक के लोग यानि कि बाप, बेटे और  पोते सभी लोग उन्हें इसी नाम से जानते थे। किसी के घर की कितनी भी खुफिया जानकारी हो, सुनंदा बुआ के आंख,कान,नाक से छिप नहीं सकती थी। कोई कितना भी अपने घर…

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अमावस की रात

in Stories

अमावस का घनघोर अंधेरा और बांसुरी पर  बजती कोई मीठी सी धुन ,ना जाने किस रूह को किसकी तलाश है, किसका दर्द सिसकियां लेता है, रोज रात के सन्नाटे में, यह किस रूह की तड़प बांसुरी की धुन में सुनाई देती है, यहां के लोगों से सुना है, कि किसी बांसुरी वादक की रूह यहां…

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