तेरा जाना…….|
तेरे जाने की धुन सुनकर , वसंत कहीं रुक जाता है, आंखों का आंसू ओसबिंदु बन, घासों पर बिछ जाता है । शिशिर ऋतु है ,तेज हवा , सूरज की आंख मिचौली है। है भींगें से कुछ नयन और, होठों पर हंसी ठिठोली है । आंखों में आंसू रुक जाता, तो कोहरा कोहरा दिखता है…