अलाव

in Blogs

मेरे घर के कोने में रखा हुआ ,धूल-धूसरित सा एक मिट्टी का पात्र ,जिसे मैं अलाव के नाम से जानती थी। अचानक मुझसे बातें करने लगा ,कहने लगा, कि तुम्हें याद है ?वो जाड़े के दिन ,जब तुम अपने खूब सारे भाई बहनों और माता पिता के साथ मेरे इर्द-गिर्द बैठकर घंटों मेरे साथ अपनत्व…

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दुनियादारी

in poems

कुछ नर्म से रिश्तो का ,अधूरा सा फसाना है। ग़र समझ सको ,समझना ,यह दर्द पुराना है। जब साथ हो अधूरा ,तो लोग मचलते हैं। जख्मों पर छिड़कने को, नमक लेकर ही चलते हैं । घर में खुशी हो ,चाहे गम की हवा बही हो। देकर बुलावा घर में ,अनजान से रहते हैं। जब याद…

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जीवन चक्र

in poems

आस-पास बिखरे रंगों में, बादल पर्वत और उपवन में, जीवन विस्तारित होता हर कण में, इनमें गुंजित ध्वनियां देखो क्या कहती है? कहती हैं, हर रंग में जीवन, खिलता ही है, उमड़ घुमड़ कर बादल सा मन, खाली होता। खाली होकर ऊपर उठता, पर्वत सा फिर,और उपवन में, फूलों सा मन, विकसित होता। यही चक्र…

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सूरज

in poems

हर सुबह उम्मीदों का सूरज, उगता ढलता दे जाता है , कुछ स्वप्न नये, कुछ पंख नये, कुछ अरमानों के रंग नये , देता है कुछ संदेश नए , नवजीवन के परिवेश नये, ठिठुरे सिकुड़े मनोभावों को, उष्माओं के कुछ अंश नये। जब नए उम्मीदों का दीपक , बुझने को आतुर होता है, तब सूरज…

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हे नए साल

in poems

सपनों की दीर्घ वीथिका में, अगणित रंगों के इंद्रधनुष, लेकर आए ये नया साल । कुछ हास नए ,उल्लास नए , जीवन के कुछ अभिलाष नए, है पलक पांवड़े बिछे हुए , स्वागत में तोरण सजे हुए, आना तो खुशियां ले आना, दुनिया के आंसू ले जाना, इस वर्ष बहुत तड़पाया है, दुनिया को कितना…

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साथ तेरे

in poems

जो समय बिताया, साथ तेरे, वो समय नहीं छोड़ा मैं ने, वो हरपल मेरे साथ रहा, तेरी यादों के एहसास तले। जब साथ तुम्हारे होते थे, कभी हंसते थे, कभी रोते थे। अब हंसना,रोना छोड़ दिया, दुनियादारी के बोझ तले। जब संग तुम्हारे, मीलों तक, बेमतलब घूमा करते थे, वो यादें अब भी जीने का,…

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