चंदा की लोरी

in poems

चंदा जब तुम निशाकाल में आना, मेरे प्यारे लल्ला को, लोरी गाकर सुनाना, जिसमें हो इस देश की बातें, देश के गौरव गान की बातें, षड् ॠतुओं की सौगातें, उसको तुम बताना, जब तुम निशा काल में आना । पर्वत नदियाँ झरनें सागर, पूरित जिनसे देश का गागर, निर्मल पावन रखने को, उसको तुम सिखाना,…

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पुण्यात्मा

in Stories

प्राचीन काल में जिन्हे ज्ञान की पिपासा होती थी ,वो कंद मूल फल खाकर सात्विक जीवन जीते थे , उनका काम ज्ञान वर्धन और अर्जन कर समाज को सही दिशा दिखाना था ।दूसरा वर्ग वो था ,जिन्हें युद्ध के लिए शारीरिक बल की आवश्यकता थी ,उनका भोजन दूध दही मांसाहार समेत सभी तरह का स्वादिष्ट…

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शेष प्रश्न

in poems

हैं शेष प्रश्न,कुछ जीवन में, जो अनुत्तरित ही रहते है, प्रतिपल घटते इस जीवन में, जो अनुगुंजित से रहते है, जीवन की दीर्घ किताबों में, कुछ तो खोया खोया सा है, कही अपनी भाषा शून्य हुई, कही भाव न्यून ही रहता है । प्रचलित शिक्षा के बोझ तले, मानव कुचला कुचला सा है, मानवीय मूल्य…

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बीता ज़माना

in poems

लड़ना झगड़ना या रूठना मनाना , कोई डाँट खाए, तो उसको चिढ़ाना, बहुत याद आता है बीता ज़माना, वो हँसना हँसाना, वो रोना रुलाना । गुज़रता गया, जो पंख लगा के, पलट के न आया, कभी याद आके। बहनों के संग, जो बचपन बिताया, जवानी बितायी ,ज़माना बिताया, बहुत कुछ छिपाया, बहुत कुछ बताया ,…

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पूजा

in poems

यदि धन की पूजा,अमरता दिलाती? तो रावण की लंका कभी जल न पाती। वो रावण भी अब तक,इस धरती पे होता, कोरोना के कारण ही भयभीत होता । प्रकृति की ही पूजा,उद्धारक बनेगी, तब जीवन बचेगा,जब धरती बचेगी!

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प्रलय

in poems

ये आफ़त ये झंझा तूफ़ानों का रेला, कहाँ ले के आया ,ये मरघट का खेला। समझ में न आए ,ये हो क्या रहा है ? प्रकृति का जो ऐसा क़हर हो रहा है ! समय कह रहा है ,जड़ों से जुड़ो तुम, नहीं तो कहीं फिर प्रलय हो ना जाए।

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