भूली बिसरी बातें

in poems

इतने दिनों के बाद मिले हो, कुछ भूली बिसरी बात करो, कुछ अपनी कहो, कुछ मेरी सुनो, कुछ अपनेपन की बात करो, सदियाँ बीती,अर्सा गुजरा, फिर भी तुम बिल्कुल वैसे हो, कुछ शरद शिशिर की बात करो, कुछ ग्रीष्म ऋतु की बात करो, बारिश से गीली सड़को पर, वो नाव चलाना याद करो, गुल्ली डंडो…

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मानवता

in poems

निज सुखो की मरीचिका में, खो न जाना, जीवन बदलता है यहाँ, ये भूल न जाना, फूल है जीवन में ग़र, तो शूल भी है, चूर मत हो गर्व में, क्योंकि यहाँ पर धूल भी है, धूसरित हो जाएँगी, वो गर्व की आँधियाँ नशीली, हौसला दे तू उन्हें बढ़कर, जिनकी हुई है आँखे गीली  ।

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जीवन प्रत्याशा

in poems

स्व से ऊपर उठो , पुकारता ये तंत्र है, स्व से ऊपर उठो, जीवन का ये मंत्र है, अनगिनत पीड़ित यहाँ पर, अनगिनत शोषित यहाँ पर, अनगिनत आँखे यहाँ पर, जोहती है बाट तेरा, कपकपाते हाथ उठते है , इस उम्मीद पे कि, कोई तो आए जो,कह दे, टूट मत तू , मैं हूँ तेरा,…

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स्वर्णिम स्मृतियाँ

in poems

फूलो कि मुस्कान ? तितलियों की उड़ान? सुबह की ठहरी हुई , ओस की शीतल छुअन ? या ईश्वर की निर्माणकला की , संगीतमय धड़कन? तुम्हारे साथ बिताये पलो को, क्या नाम दूँ ? ये स्वर्णिम स्मृतियों की बाते है, जब शब्द मौन, और अश्रु मुखरित हो जाते है ।

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इच्छा

in poems

समर्पण ही है पारावार, नाविक ले चल मुझे उस पार, हरियाली का हो संसार, दिव्यता हो अनुपम उपहार, नाविक ले चल मुझे उस पार, जीवन उलझा जाल में, कथा बनती है काल में, कहना क्या इस हाल में? आधा जीवन तो बीत गया, आधा ही बीता जाना है, कुछ पल का ही ये बाना है,…

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हे कृष्ण !

in poems

सौंदर्य का संधान हो तुम, माधुर्य का आधान हो तुम, सौम्यता का पर्याय हो तुम, गाम्भीर्य का अभिप्राय हो तुम, मेरे अबोध अन्तःस्थल की, अभिज्ञान हो तुम, विश्रांति हो तुम ।

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