मत भूलो
लिखित संविधान को, गणतंत्र के विधान को, मत भूलो, सशक्त करो। स्वाधीनता के अर्थ को, बलिदानी के रक्त को, मत भूलो,अनुरक्त बनो। हे भारत के वीर सपूतों, मत भूलो, उन भूलों को, जिनके कारण बर्बाद हुए, उन भूलों से ऊपर उठकर, फिर स्वर्णिम निर्माण करो।
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संदेश
गणतंत्र की सुनहरी, फिर शाम आ रही है। सूरज की लालिमा यह, संदेश गा रही है । हम सब हैं
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वो जीना भी क्या जीना है, जो देश हित में जी न सके, वो मरना भी क्या मरना है, जो मातृभूमि पर मर न सके। कितने अनजाने वीरों ने, अपने जो रक्त बहाएं है, इस देश के मिट्टी पानी में, उन वीरों की गाथाएं हैं। झांसी की मिट्टी कहती हैं, हर बाला लक्ष्मीबाई हो, पंजाब…
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ज़न्नत
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वो चार शेर ही काफी थे, जिनकी जड़े हिलाने को, इसलिए पीठ पर वार किया, औकात न थी, आजमाने को। जगे शेर से पंगा ले, ये कायर की औकात नहीं, छल छद्म ही जिनके खून में है, उन्हें सबक दे, सौगात नहीं। हुए हैं दो दो हाथ,जब जब, मानवता हारी है, अब उठो, युद्ध उदघोष…
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खुली सड़क पर घूम रहा था, वो अनाथ बच्चा, मै बोली, तुम कुछ पढो,लिखो, यूं घूमना नहीं अच्छा । मै सड़क किनारे पला, बढ़ा, इस खुली सड़क पर सोता हूं। भूख से पिचका पेट लिए, भरने को इसे तरसता हूं। तुम बड़े लोग का पेट,जेब, हरदम रहता है,भरा भरा, तभी तुम्हे तो दिखता है, हर…
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