बहुत याद आता है…
याद आ रहा, गांव हमारा, बांसों का झुरमुट,वो न्यारा। जहां रातों के अंधियारे में, जुगनू जगमग करते थे, आमों के बागीचे में, झिंगुर बोला करते थे, चांद और तारों के नीचे, बिस्तर डाला करते थे, सप्तऋषि से तारों की, दूरी को नापा करते थे। समय का पहिया घूम घूमकर, शहरों तक ले आया, लेकिन…