है राम की धरा ये,
अपना स्वदेश प्यारा,
अर्पित करेंगें तन मन,
संकल्प है हमारा,
अविचल अडिग रहेंगे,
आए कोई भी झंझा ,
हर घात से लड़ेंगे ,
हो प्रात या हो संझा।
स्वाधीनता का परचम,
ये याद है दिलाता ,
बलिदान और लहू का,
इतिहास है बताता।
कीमत चुकाई है जब,
कई पीढ़ियों ने मिटकर,
तब जाके ये बना है,
स्वाधीन देश प्यारा।
हिंदी भाषा की व्यथा
मैं हिंदी भाषा हूं ,आजकल कुछ उदास सी रहती हूं, क्योंकि मेरे अपनों ने मेरी परवाह