हंस कर कहता,
व्योम, धरा से।
सूरज चांद सितारे,
ये हैं मेरे सारे ।
तेरे अपने कौन ?
बता मुझे, न रह मौन।
धरती ने ली अंगड़ाई,
फिर थोड़ी शरमाई,
अगणित चांद सितारे मेरे,
क्यूं जलता है भाई ?
मोदी ने भारत चमकाया,
राष्ट्रवाद परचम लहराया।
जिसकी चमकीली ऊर्जा ने,
ऊंच नीच का भेद मिटाया।
ए.पी.जे. अब्दुल कलाम सा,
हमने चांद सितारा पाया।
ऐसे मेरे प्यारो ने,
दुनिया को दम खम दिखलाया।
शून्य धरातल से उठकर जो,
उच्च शिखर पर जाता है,
वही तो विकसित मानवता का,
चरमबिंदु कहलाता है।
जनकल्याण का लक्ष्य लिए जो,
देश पे मर मिट जाता है।
वही तो तेरे आसमान का,
ध्रुवतारा बन जाता है।