आत्मानुशासन

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स्वाधीनता सिर्फ एक शब्द नहीं, अनंत प्रतिक्षाओं,अनगिनत बलिदानों ,अतृप्त प्यास से उपजी एक जीवन यात्रा है। जिसमें विराम के लिए समय कहां ?स्वाधीनता के लिए तड़प की अलख यदि हमारे क्रांतिकारियों ने अपने खून देकर जगाई ना होती,तो हम और आप तो होते, लेकिन यह स्वाधीनता की सुगंध कहां होती? इस स्वाधीनता की सुगंध को यदि दूषित होने से बचाना है, तो हमें अनुशासन के पाठ पढ़ने होंगे,क्योंकि दुनिया में कोई ऐसी चुनौती नहीं, जो अनुशासित व्यक्ति पूरी न कर सके। जीवन का हर वह काम जो औरों के हित के लिए किया गया हो, अनुशासन है। हर वह संघर्ष जो आप की महत्वाकांक्षाओं को सही आकार देने के लिए हो, अनुशासन है। बच्चों से सीखना, बड़ो के बड़प्पन को अपनाना, अनुशासन है। बुराई से लड़ना, भलाई के लिए जूझना सब अनुशासन है। किसे ,कितना, क्यों और कैसे आंकना अनुशासन है ,और हम लोग अनुशासित देशवासी होने का कर्तव्य निभा कर ही देश को प्रगति के मार्ग पर निरंतर अग्रसर रख सकते हैं।

जय हिंद।

पिताजी के अंग्रेजी, उर्दू के कुहासे के बीच, मैंने अपनी माँँ के लोकगीतों को ही अधिक आत्मसात किया। उसी लोक संगीत की समझ ने मेरे अंदर काव्य का बीजा रोपण किया। "कवितानामा" मेरी काव्ययात्रा का प्रथम प्रयास नहीं है। इसके पूर्व अनेक पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशनार्थ प्रेषित की, लेकिन सखेद वापस आती रचनाओं ने मेरी लेखनी को कुछ समय के लिए अवरुद्ध कर दिया था। लेकिन कोटिशः धन्यवाद डिजिटल मीडिया के इस मंच को, जिसने मेरी रुकी हुई लेखनी को पुनः एक प्रवाह, एक गति प्रदान कर लिखने के उत्साह को एक बार फिर से प्रेरित किया। पुनश्च धन्यवाद!☺️ वंदना राय

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