जीवन

in poems

फूलों के लघु जीवन से भी,

सीखो और सिखाओ,

जीवन आनंद बनाओ,

जीवन को अपनाओ ।

क्या हुआ जो रूठ गया,

सपना था गर टूट गया,

फिर अपने सोए पौरुष को,

एक बार आजमाओ,

जीवन आनंद बनाओ,

जीवन को अपनाओ।

जंगल की सुंदरता देखो,

और चिड़ियों का उपवन देखो,

हर जीवन कितना सुंदर है,

मन परिवर्तन लाओ,

जीवन को अपनाओ।

झरनों के अपने सरगम है,

हवाओं की अपनी गुनगुन है,

सूरज की अपनी गर्मी है,

चांद की अपनी शीतलता,

अलग अलग गुण होने पर भी,

सब कुछ कितना सुंदर लगता,

तुम अपने  गुण  निखराओ,

जीवन आनंद बनाओ ,

जीवन को अपनाओ।‎

पिताजी के अंग्रेजी, उर्दू के कुहासे के बीच, मैंने अपनी माँँ के लोकगीतों को ही अधिक आत्मसात किया। उसी लोक संगीत की समझ ने मेरे अंदर काव्य का बीजा रोपण किया। "कवितानामा" मेरी काव्ययात्रा का प्रथम प्रयास नहीं है। इसके पूर्व अनेक पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशनार्थ प्रेषित की, लेकिन सखेद वापस आती रचनाओं ने मेरी लेखनी को कुछ समय के लिए अवरुद्ध कर दिया था। लेकिन कोटिशः धन्यवाद डिजिटल मीडिया के इस मंच को, जिसने मेरी रुकी हुई लेखनी को पुनः एक प्रवाह, एक गति प्रदान कर लिखने के उत्साह को एक बार फिर से प्रेरित किया। पुनश्च धन्यवाद!☺️ वंदना राय

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