हे! नये साल

in poems

हे! नए साल, तू मुझे बता,

क्या बात नयी होगी तुझमें ?

क्या प्रात नयी होगी तुझमें ?

या घात नयी होगी तुझमें ?

क्या नए साल में,

भूखों को तू रोटी दिलवाएगा ?

या वृद्धों के आश्रम में तू,

उनका बेटा लौटाएगा?

सारी दुनिया जो जूझ रही,

युद्धों को तू रुकवायेगा?

या अनाचार की पीड़ा से,

तू मुक्ति दिलवाएगा?

इस  धरती के जीवन में तू,

कोई परिवर्तन लाएगा?

या सुखद आस की बातों से,

तू  फिर छल के ही जाएगा?

“समय बहुत बलवान” की बातें,

बस सुनते ही आए हैं।

तेरा बल कब और कैसे?

दुनिया के दूख दूर भगाएगा?

हे! नए साल तू मुझे बता,

क्या चमत्कार कर पाएगा?

या कोरी बातों से ही,

दुनिया को बहलाएगा ।

पिताजी के अंग्रेजी, उर्दू के कुहासे के बीच, मैंने अपनी माँँ के लोकगीतों को ही अधिक आत्मसात किया। उसी लोक संगीत की समझ ने मेरे अंदर काव्य का बीजा रोपण किया। "कवितानामा" मेरी काव्ययात्रा का प्रथम प्रयास नहीं है। इसके पूर्व अनेक पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशनार्थ प्रेषित की, लेकिन सखेद वापस आती रचनाओं ने मेरी लेखनी को कुछ समय के लिए अवरुद्ध कर दिया था। लेकिन कोटिशः धन्यवाद डिजिटल मीडिया के इस मंच को, जिसने मेरी रुकी हुई लेखनी को पुनः एक प्रवाह, एक गति प्रदान कर लिखने के उत्साह को एक बार फिर से प्रेरित किया। पुनश्च धन्यवाद!☺️ वंदना राय

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