ऐ खुदा!

in poems

मेरे स्वप्न अब भी है राह में ,

और मंजिलें इंतजार में,

ऐ खुदा! मुझे तू नवाज दे,

मेरे पंख को परवाज दे,

मैं किसी के स्वप्न को जी सकूँँ,

किसी और का दर्द भी पी सकूंँ,

मुझे ऐसी करुणा अपार दे,

जीवन का अर्थ निखार दें,

यह आत्मा की पुकार है ,

किसी के स्वप्न  का सार है,

इस सार को तू संवार दे,

मुझे अपना तेज उधार दे।

जीवन  में जो भी प्रहार है,

वो तेरा ही उपहार है,

शिकवा नहीं उपहार से,

न हीं तेरे प्यार दुलार से ,

बेचैन दिल को करार दे ,

मुझे ऐसी शक्ति अपार दे ,

मेरी मांँ को नींद उधार दे।

http://www.kavitanaama.com

पिताजी के अंग्रेजी, उर्दू के कुहासे के बीच, मैंने अपनी माँँ के लोकगीतों को ही अधिक आत्मसात किया। उसी लोक संगीत की समझ ने मेरे अंदर काव्य का बीजा रोपण किया। "कवितानामा" मेरी काव्ययात्रा का प्रथम प्रयास नहीं है। इसके पूर्व अनेक पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशनार्थ प्रेषित की, लेकिन सखेद वापस आती रचनाओं ने मेरी लेखनी को कुछ समय के लिए अवरुद्ध कर दिया था। लेकिन कोटिशः धन्यवाद डिजिटल मीडिया के इस मंच को, जिसने मेरी रुकी हुई लेखनी को पुनः एक प्रवाह, एक गति प्रदान कर लिखने के उत्साह को एक बार फिर से प्रेरित किया। पुनश्च धन्यवाद!☺️ वंदना राय

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